टीबी की सटीक जांच के लिए नया टेस्ट
टीबी यानी ट्यूबरक्यूलोसिस, हिंदी में कहें तो क्षय रोग ऐसी बीमारी है जिसका पता बीमारी होने के बहुत समय बाद चलता है। हालांकि अब नई दवाओं के कारण ये बीमारी अब वैसी घातक नहीं रही बल्कि सही तरीके से दवा खाने पर ये पूरी तरह ठीक हो जाती है। ऐसे में जरूरी है कि बीमारी की जानकारी समय पर मिल जाए।
वर्तमान में इस्तेमाल हो रहे ‘रैपिड ब्लड टेस्ट’ से तपेदिक की सटीक जांच मुमकिन नहीं है लेकिन एक नई तरह की जांच से इसका अधिक सटीक परीक्षण संभव हो सकता है। मेकिकल जर्नल ‘द लैंसेट’ में प्रकाशित एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।
ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) द्वारा उपयोग किए जाने वाले त्वरित टीबी जांच के अब तक के सबसे बड़े अध्ययन में ‘इम्पीरियल कॉलेज’ के शोधकर्ताओं के नेतृत्व वाली टीम ने पाया कि मौजूदा परीक्षण संदिग्ध मामलों में टीबी का पता लगाने में पर्याप्त सक्षम नहीं हैं और इनका क्लिनिकल इस्तेमाल भी सीमित है।
‘लैंसेट इन्फेक्शस डिजीज’ जर्नल में प्रकाशित शोध में दूसरी पीढ़ी के नए रैपिड ब्लड टेस्ट पर गौर किया और पाया कि यह मौजूदा जांच की तुलना में काफी अधिक सटीक है।
टीम के अनुसार नई जांच से डॉक्टरों को तुरंत टीबी होने या ना होने का पता चल पाएगा। साथ ही उन रोगियों की पहचान करने में भी मदद मिलेगी, जिन्हें आगे जांच तथा उपचार की आवश्यकता है और जिनसे दूसरों को संक्रमण का कोई खतरा नहीं है।
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